देवी दास जी की समाधिः-

यह स्थान राजागोपुरम् के सामने सफेद संगमरमर के चबूतरे के रूप में बना है। यह समाधि उनके कहे अनुसार मंदिर के प्रवेष द्वार राजगोपुरम् के सामने एक छोटा सा चबुतरा बना कर मध्य में एक छोटा शिवलिंग स्थापित किया गया है जो करीब 10 साल पहले ही श्री रतनलालजी सोमानी द्वारा बनवाया गया है। देवीदासजी के बारे में भी किसी को ज्यादा मालूम नहीं है कि वह कहां से आये थे व कब से झाडखण्ड महादेव कि सेवा करने लगे बस यह वाक्य ज्ञात है कि एक नवरात्रा के बाद जब बाबा देवीदासजी की पूजा से देवी प्रसन्न होकर प्रकट हुई व बोली ला मेरा भोग तो बाबा द्वारा यह कहा गया कि भोग कहा है मै ही भोग हूँ इस पर देवी कुपित हो गई व बाबा के जोर से घूसा मारा और बाबा वीरगति को प्राप्त हो गये।